विकास की परिभाषाएँ बदल रही है
करवटें और हवाऐं बदल रही है
खिलखिलाती थी कल तक ऑगन में वो
अंधेरों में अब चिंताऐं जल रही है

ईमान भी ख़ामोश है मेरी मिट्टी की वफ़ा का
ऑंखें नम हो रही है और रूह जल रही है
ख़ामोश कर देगें सब इंकलाब की आवाज़ें
यहॉ राम राज की सरकारें चल रही है
कोई तो देख लो इन नक़ाबों को
झूठ के पुलिन्दों को , झूठे ख़्वाबों को
यक़ीन न हो तो उस कटी जुबान से पुछना
जिसे कहना बहुत था कि दर्द बहुत था
थक गईं हूँ मैं अब सोना चाहती हूँ
मेरे देशभक्तों ! मैं रोना चाहती हूँ



अगर ऐतबार हो तो मॉ को देखना
झाइयों में छुपी तन्हाईयो को देखना
मेरी आबरू लुट गई हो मगर
मेरी रूह में थोड़ी सी जान बाकि है
जिस्म ख़ाक हो गया हो मगर
इंसाफ़ का आज भी इंतज़ार बाकि है ।
ईमान भी ख़ामोश है मेरी मिट्टी की वफ़ा का
ऑखे नम हो रही है और रूह जल रही है …..।।
4 replies on “हाथरस की बेटी”
Beautiful expression
Thanks 🙏
Hats off to you ❣ sir 👏
Thank you ma’am 💕🌸